Is Soch Main Baitha Hoon
इस सोच मे बैठा हूँ, क्या गम उसे पहुँचा है
इस सोच मे बैठा हूँ, क्या गम उसे पहुँचा है
बिखरी हुई जुल्फ़े है, बिखरी हुई जुल्फ़े है
उतरा हुआ चेहरा है
इस सोच मे बैठा हूँ, क्या गम उसे पहुँचा है
जिस फूल को तितली ने चूमा मेरी ज़ानिब उसे
जिस फूल को तितली ने चूमा मेरी ज़ानिब उसे
ज़ालिम ने उसी गुल को मसला नही रोंदा है
बिखरी हुई जुल्फ़े है, उतरा हुआ चेहरा है
इस सोच मे बैठा हूँ, क्या गम उसे पहुँचा है
हालांकि पुकारा था, तुम्ही ने मुझे लेकिन
हालांकि पुकारा था, तुम्ही ने मुझे लेकिन
महसूस हुआ जैसे कोयल ने पुकारा है
बिखरी हुई जुल्फ़े है, उतरा हुआ चेहरा है
इस सोच मे बैठा हूँ, क्या गम उसे पहुँचा है
मुड़कर भी नही देखा झोंके की तरह उसने
मुड़कर भी नही देखा झोंके की तरह उसने
वो मेरे बराबर से हसता हुआ गुजरा है
बिखरी हुई जुल्फ़े है, बिखरी हुई जुल्फ़े है
उतरा हुआ चेहरा है
इस सोच मे बैठा हूँ, क्या गम उसे पहुँचा है