Main Mati Ko Putlo
PUNIT SHARMA, SANJEEVANI BHELANDE
मैं माटी को पुतलो
माटी के भीतर बेजान
ईश्वर तेरी कृपा की
तूने मुझमें फूंके प्राण ||
मेरे जीवन की डोरी में
कितने बोए मनके
मेरे अंतर को ढक डाला
हाथोंसे तन बुनके
जीवन मेरा क्यूँ है क्या है
सोचा जीवनभर
प्राण छूटते समय
प्राण को समझा मैं नादान ||
लाख मुखौटों भीतर मेरा
एक मुखौटे सा मन
खुदका असली चेहरा
देख सका ना सारे जीवन
तू निर्देशक,निराकार
मैं अभिनेता साकार
तेरे नाटक में ना जाने
मेरा क्या किरदार
गीत पे तेरे गाया नाचा
बिन वादक बिन ताल
अब तो सुर देदे बंदेको
तोड़ के तन का ज्ञान ||