Ek Lau
गर्दिशों में रहती, बहती, गुज़रती, जिंदगियां है कितनी
इनमें से एक है, तेरी मेरी या कहीं, कोई एक जैसी अपनी
पर ख़ुदा खैर कर, ऐसा अंजाम किसी, रूह को ना दे कभी यहाँ
गुन्चा मुस्कुरता एक वक़्त से पहले क्यूँ छोड़ चला तेरा ये जहाँ
एक लौ इस तरह क्यूँ बुझी मेरे मौला
एक लौ ज़िंदगी की मौला
एक लौ इस तरह क्यूँ बुझी मेरे मौला
एक लौ ज़िंदगी की मौला
धूप के ऊजाले सी, ओंस के प्याले सी, खुशियां मिले हमको
ज़्यादा मांगा है कहाँ, सरहदें ना हो जहाँ, दुनिया मिले हमको
पर खुदा खैर कर, उसके अरमान में क्यूँ, बेवजह हो कोई कुरबां
गुन्चा मुस्कुरता एक वक़्त से पहले क्यूँ छोड़ चला तेरा ये जहाँ
एक लौ इस तरह क्यूँ बुझी मेरे मौला
एक लौ ज़िंदगी की मौला
एक लौ इस तरह क्यूँ बुझी मेरे मौला
एक लौ ज़िंदगी की मौला
एक लौ इस तरह क्यूँ बुझी मेरे मौला
एक लौ ज़िंदगी की मौला
एक लौ इस तरह क्यूँ बुझी मेरे मौला
एक लौ ज़िंदगी की मौला
एक लौ इस तरह क्यूँ बुझी मेरे मौला
एक लौ ज़िंदगी की मौला
एक लौ इस तरह क्यूँ बुझी मेरे मौला
एक लौ ज़िंदगी की मौला