YAAR KI KHABAR
क्यों परेशां शाम ए गम की अब शहर आती नहीं |
क्यों परेशां शाम ए गम की अब शहर आती नहीं ||
यार की खबर कोई आती नहीं। ..... आती नहीं ......
क्यों परेशां शाम ए गम की अब शहर आती नहीं
यार की खबर कोई आती नहीं। ..... आती नहीं ......
पलकों में ख्वाबो के जुगनू सजाये
उम्मीद तेरी सुबह शाम है ______
नैना तेरी रह गुजर से लगे
सांसो की आहट से पैगाम आये
होठो पे हरपल तेरा नाम आये
बेइंतहा दर्द सीने में जागे
क्यों न जाने नीद मुझे आती नहीं
आती नहीं .........
क्यों परेशां शाम ए गम की अब शहर आती नहीं
यार की खबर कोई आती नहीं .....
आती नहीं ......
फूलो में ढूढ़ा बहरो में देखा
पर मिल सका न तेरा कुछ पता
मिलते नहीं कदमो के निशान
महका सा गुलशन ये वीरान क्यों है
क्यों हर कदम एक तूफ़ान क्यों है
गम हो गयी जाने क्यों हर दिशा
कोई राष्ट कोई मंजिल नहीं .........
मंजिल नहीं .........
क्यों परेशां शाम ए गम की अब शहर आती नहीं
यार की खबर कोई आती नहीं .....
आती नहीं ......