Jahan Talak Bhi

RAFIQUE HUSAIN, SHAKEB JALALI

जहाँ तलाक़ भी यह सहारा
दिखाई देता हैं
जहाँ तलाक़ भी यह सहारा
दिखाई देता हैं
मेरी ही तरह से अकेला
दिखाई देता हैं
जहाँ तलाक़ भी यह सहारा
दिखाई देता हैं

ना इतनी तेज़्ज़ चले
सरफिरी हवा से कहो
ना इतनी तेज़्ज़ चले
सरफिरी हवा से कहो
शजार पे एक ही
पत्ता दिखाई देता है
जहाँ तलाक़ भी यह सहारा
दिखाई देता हैं

यह एक आब्रर का टुकड़ा
कहा कहा बरसे
यह एक आब्रर का टुकड़ा
कहा कहा बरसे
तमाम दश्त ही प्यासा
दिखाई देता है
जहाँ तलाक़ भी यह सहारा
दिखाई देता हैं

वो अलविदा का मंज़र
वो च्चालकती पलाके
वो अलविदा का मंज़र
वो च्चालकती पलाके
पासे गुबार भी क्या क्या
दिखाई देता है
जहाँ तलाक़ भी यह सहारा
दिखाई देता हैं
मेरी ही तरह से अकेला
दिखाई देता हैं
जहाँ तलाक़ भी यह सहारा
दिखाई देता हैं

Curiosités sur la chanson Jahan Talak Bhi de Ghulam Ali

Quand la chanson “Jahan Talak Bhi” a-t-elle été lancée par Ghulam Ali?
La chanson Jahan Talak Bhi a été lancée en 2006, sur l’album “Saadgee”.
Qui a composé la chanson “Jahan Talak Bhi” de Ghulam Ali?
La chanson “Jahan Talak Bhi” de Ghulam Ali a été composée par RAFIQUE HUSAIN, SHAKEB JALALI.

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