Dil Hi Toh Hai

Mirza Ghalib

दिल ही तो है, न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ
रोएँगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ

क़ैद-ए-हयात-ओ-बन्द-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं
क़ैद-ए-हयात-ओ-बन्द-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं
मौत से पहले आदमी ग़म से निजात पाए क्यूँ
दिल ही तो है, न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ
रोएँगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ

ग़ालिब-ए-ख़स्ता के बग़ैर कौन से काम बन्द हैं
ग़ालिब-ए-ख़स्ता के बग़ैर कौन से काम बन्द हैं
रोइए ज़ार-ज़ार क्या, कीजिए हाय-हाय क्यूँ
दिल ही तो है, न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ
रोएँगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ

Curiosités sur la chanson Dil Hi Toh Hai de Jagjit Singh

Qui a composé la chanson “Dil Hi Toh Hai” de Jagjit Singh?
La chanson “Dil Hi Toh Hai” de Jagjit Singh a été composée par Mirza Ghalib.

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