Jis Din Se

Bashir Badr

जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़कर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़कर नहीं देखा
मैंने कोई गुज़रा हुआ मन्ज़र नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़कर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ

पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा
मैंने कोई गुज़रा हुआ मन्ज़र नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़कर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ

बे वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे
बे वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ

ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुमने मेरा काँटों-भरा बिस्तर नहीं देखा
तुमने मेरा काँटों-भरा बिस्तर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़कर नहीं देखा
मैंने कोई गुज़रा हुआ मन्ज़र नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ कभी मुड़कर नहीं देखा
जिस दिन से चला हूँ

Curiosités sur la chanson Jis Din Se de Jagjit Singh

Qui a composé la chanson “Jis Din Se” de Jagjit Singh?
La chanson “Jis Din Se” de Jagjit Singh a été composée par Bashir Badr.

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