Kabhi Khamosh Baithoge

JAGJIT SINGH, NAZIR BANARSI

कभी ख़ामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे
कभी ख़ामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे
मैं उतना याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओगे
कभी ख़ामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे

कोई जब पूछ बैठेगा ख़ामोशी का सबब तुमसे
कोई जब पूछ बैठेगा ख़ामोशी का सबब तुमसे
बहुत समझाना चाहोगे मगर समझा ना पाओगे
मैं उतना याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओगे
कभी ख़ामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे

कभी दुनिया मुकम्मल बन के आएगी निगाहों में
कभी दुनिया मुकम्मल बन के आएगी निगाहों में
कभी मेरे कमी दुनिया की हर इक शै में पाओगे
मैं उतना याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओगे
कभी ख़ामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे

कहीं पर भी रहें हम तुम मुहब्बत फिर मुहब्बत है
कहीं पर भी रहें हम तुम मुहब्बत फिर मुहब्बत है
तुम्हें हम याद आयेंगे हमें तुम याद आओगे
तुम्हें हम याद आयेंगे हमें तुम याद आओगे
कभी ख़ामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे
मैं उतना याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओगे
कभी ख़ामोश बैठोगे कभी कुछ गुनगुनाओगे

Curiosités sur la chanson Kabhi Khamosh Baithoge de Jagjit Singh

Quand la chanson “Kabhi Khamosh Baithoge” a-t-elle été lancée par Jagjit Singh?
La chanson Kabhi Khamosh Baithoge a été lancée en 2006, sur l’album “Love Is Blind”.
Qui a composé la chanson “Kabhi Khamosh Baithoge” de Jagjit Singh?
La chanson “Kabhi Khamosh Baithoge” de Jagjit Singh a été composée par JAGJIT SINGH, NAZIR BANARSI.

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