Saqiya Hosh Kahan Tha

Shamim Shahabadi

आंख को जाम समाज
बैठा था अंजाने में
आंख को जाम समाज
बैठा था अंजाने में
साकिया होश कहां था
तेरे दीवाने में

जाने किस बात की उनको है
शिकायत मुझसे
जाने किस बात की उनको है
शिकायत मुझसे
नाम तक जिन्का नहीं है
मेरे अफसाने में
साकिया होश कहां था
तेरे दीवाने में

दिल के टुकड़ो से तेरी याद की
खुशबू ना गई
दिल के टुकड़ो से तेरी याद की
खुशबू ना गई
हुए मैं बाकी हैं टूटे हुए
पैमानों में
साकिया होश कहां था
तेरे दीवाने में

दिल-ए-बरबद में
उम्मीद का आलम क्या है
दिल-ए-बरबद में
उम्मीद का आलम क्या है
तिमतिमती हुई इक
शम्मा है वीराने में
साकिया होश कहां था
तेरे दीवाने में

Curiosités sur la chanson Saqiya Hosh Kahan Tha de Jagjit Singh

Quand la chanson “Saqiya Hosh Kahan Tha” a-t-elle été lancée par Jagjit Singh?
La chanson Saqiya Hosh Kahan Tha a été lancée en 2004, sur l’album “Saqiya Hosh Kahan Tha”.
Qui a composé la chanson “Saqiya Hosh Kahan Tha” de Jagjit Singh?
La chanson “Saqiya Hosh Kahan Tha” de Jagjit Singh a été composée par Shamim Shahabadi.

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