Woh Kagaz Ki Kashti Aaj
Sudarshan Faakir, Chitra Singh, Jagjit Singh
कभी रेत के ऊचे टीलों पे जाना
घरोडे केला, बना कर मिटाना,
वो मासूम चाहत की तस्वीर अपनी
वो ख्वाबो खिलोनो की जागीर अपनी
न दुनिया का गम था, न रिश्तों के बंधन
न दुनिया का गम था, न रिश्तों के बंधन
बड़ी ख़ूबसूरत थी वो ज़िंदगनी
बड़ी ख़ूबसूरत थी वो ज़िंदगनी
बड़ी ख़ूबसूरत थी वो ज़िंदगनी
बड़ी ख़ूबसूरत थी वो ज़िंदगनी