Yeh Mojeza Bhi Mohabbat Kabhi Dikhaye Mujhe

JAGJIT SINGH

ये मौजेज़ा भी मुहब्बत कभी दिखाये मुझे
ये मौजेज़ा भी मुहब्बत कभी दिखाये मुझे
के संग तुझ पे गिरे और ज़ख़्म आये मुझे
ये मौजेज़ा

वो मेहरबाँ है तो इक़रार क्यूँ नहीं करता
वो मेहरबाँ है तो इक़रार क्यूँ नहीं करता
वो बदगुमाँ है तो सौ बार आज़माये मुझे
वो बदगुमाँ है तो सौ बार आज़माये मुझे
के संग तुझ पे गिरे और ज़ख़्म आये मुझे
ये मौजेज़ा

वो मेरा दोस्त है सारे जहाँ को है मालूम
वो मेरा दोस्त है सारे जहाँ को है मालूम
दग़ा करे वो किसी से तो शर्म आये मुझे
दग़ा करे वो किसी से तो शर्म आये मुझे
के संग तुझ पे गिरे और ज़ख़्म आये मुझे
ये मौजेज़ा

मैं अपनी ज़ात में नीलाम हो रहा हूँ क़तील
मैं अपनी ज़ात में नीलाम हो रहा हूँ क़तील
ग़म-ए-हयात से कह दो ख़रीद लाये मुझे
ग़म-ए-हयात से कह दो ख़रीद लाये मुझे
के संग तुझपे गिरे और ज़ख़्म आये मुझे
ये मौजेज़ा

Curiosités sur la chanson Yeh Mojeza Bhi Mohabbat Kabhi Dikhaye Mujhe de Jagjit Singh

Quand la chanson “Yeh Mojeza Bhi Mohabbat Kabhi Dikhaye Mujhe” a-t-elle été lancée par Jagjit Singh?
La chanson Yeh Mojeza Bhi Mohabbat Kabhi Dikhaye Mujhe a été lancée en 2004, sur l’album “Jagjit Singh Digital Collection 1”.
Qui a composé la chanson “Yeh Mojeza Bhi Mohabbat Kabhi Dikhaye Mujhe” de Jagjit Singh?
La chanson “Yeh Mojeza Bhi Mohabbat Kabhi Dikhaye Mujhe” de Jagjit Singh a été composée par JAGJIT SINGH.

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