Phir Se Zara

Rakesh Kumar

फिर से ज़रा तू रूठ जा
फिर से तुझे मनाऊं मैं हाय
फिर से ज़रा तू रूठ जा
फिर से तुझे मनाऊं मैं हाय
फिर से ज़रा तू दूर जा
फिर से तुझे बुलाऊँ मैं
ए ज़िंदगी तू चुप है क्यूँ
मिलके कभी तू बोल ना
दिल की जो बातें हैं
होठों पे खोल ना
चुभती ख़ामोशी है
कुछ तो बोल ना
दिल की जो बातें हैं
होठों पे खोल ना
चुभती ख़ामोशी है
कुछ तो बोल ना
फिर से ज़रा तू रूठ जा
फिर से तुझे मनाऊं मैं

अंदर एक मेरे
है उड़ता घायल परिंदा कोई
मरके भी जैसे
एक मुझमे पागल है ज़िंदा कोई
अंदर एक मेरे
उड़ता घायल परिंदा कोई
मरके भी जैसे
है मुझमे पागल है ज़िंदा
तिनका हूँ मैं तूफ़ान में
तिनका हूँ मैं तूफ़ान में
क्यूँ ज़िंदगी तू बोल ना
दिल की जो बातें हैं
होठों पे खोल ना
चुभती ख़ामोशी है
कुछ तो बोल ना
दिल की जो बातें हैं
होठों पे खोल ना
चुभती ख़ामोशी है
कुछ तो बोल ना

Curiosités sur la chanson Phir Se Zara de Jubin Nautiyal

Qui a composé la chanson “Phir Se Zara” de Jubin Nautiyal?
La chanson “Phir Se Zara” de Jubin Nautiyal a été composée par Rakesh Kumar.

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