Aao Kanhai Mere Dham

Majrooh Sultanpuri, R D Burman

अपनों को कब है शाम
अपनों को कब है शाम
मुख दिखलाओगे
ऐसे में आये न फिर कब आओगे
एकल बेकल पंथ निहारे
एकल बेकल पंथ निहारे
तुम्हरे दरश में प्यासे तमाम
के दिन से हो गयी शाम
आओ कन्हाई मेरे धाम
के दिन से हो गयी शाम

बन मैं राम बस्ती में देखा है चहु और
प्रभु तुमसे बाँधी है आशाओं डोर
अब ऊलजाओ या सुलजाओ
अब ऊलजाओ या सुलजाओ
आन पड़ा अहइ तुमसे ही काम
के दिन से हो गयी शाम
आओ कन्हाई मेरे धाम
के दिन से हो गयी शाम

इस मन में आजाओ नैनो के पट खोल
साँसों में धड़कन में मोहन तुम्हारे बोल
तुमको नहीं तो किसको पुकारू
तुमको नहीं तो किसको पुकारू
मुझको तो आवे एक ही नाम
के दिन से हो गयी शाम
आओ कन्हाई मेरे धाम
के दिन से हो गयी शाम
आओ कन्हाई मेरे धाम
के दिन से हो गयी शाम

Curiosités sur la chanson Aao Kanhai Mere Dham de Kishore Kumar

Qui a composé la chanson “Aao Kanhai Mere Dham” de Kishore Kumar?
La chanson “Aao Kanhai Mere Dham” de Kishore Kumar a été composée par Majrooh Sultanpuri, R D Burman.

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