Main Aur Meri Awargi [Male]

JAVED AKHTAR, R. D. BURMAN

फिरते हैं कब से दरबदर
अब इस नगर, अब उस नगर
एक दूसरे के हमसफ़र
मैं और मेरी आवारगी
ना आशना हर रहगुज़र
ना मेहरबाँ सबकी नज़र
जायें तो अब जायें किधर
मैं और मेरी आवारगी
फिरते हैं कब से दरबदर
अब इस नगर, अब उस नगर

इक दिन मिली एक महजबीं
तन भी हसीं, जां भी हसीं
दिल ने कहा हमसे वहीँ
ख़्वाबों की है मंजिल यहीं
ख़्वाबों की है मंजिल यहीं
फिर यूँ हुआ वो खो गयी
तू मुझको जिद सी हो गयी
लाएँगे उसको ढूँढकर
मैं और मेरी आवारगी
फिरते हैं कब से दरबदर
अब इस नगर, अब उस नगर

ये दिल ही था जो सह गया
जो बात ऐसी कह गया
कहने को फिर क्या रह गया
अश्कों का दरिया बह गया
अश्कों का दरिया बह गया
जब कहके वो दिलबर गया
तेरे लिये मैं मर गया
रोते हैं उसको रात भर
मैं और मेरी आवारगी
फिरते हैं कब से दरबदर
अब इस नगर, अब उस नगर

हम भी कभी आबाद थे
ऐसे कहाँ बरबाद थे
बेफिक्र थे, आज़ाद थे
मसरूर थे, दिलशाद थे
मसरूर थे, दिलशाद थे
वो चाल ऐसी चल गया
हम बुझ गये दिल जल गया
निकले जला के अपना घर
मैं और मेरी आवारगी
फिरते हैं कब से दरबदर
अब इस नगर, अब उस नगर
एक दूसरे के हमसफ़र
मैं और मेरी आवारगी
फिरते हैं कब से दरबदर
अब इस नगर, अब उस नगर

Curiosités sur la chanson Main Aur Meri Awargi [Male] de Kishore Kumar

Qui a composé la chanson “Main Aur Meri Awargi [Male]” de Kishore Kumar?
La chanson “Main Aur Meri Awargi [Male]” de Kishore Kumar a été composée par JAVED AKHTAR, R. D. BURMAN.

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