Nari Kuch Aisan

GULZAR, RAJESH ROSHAN

नारी कुछ ऐसन आगे निकल रही है
नारी कुछ ऐसन आगे निकल रही है
मर्दन के पाँव तले धरती फिसल रही है
मर्दन के पाँव तले धरती फिसल रही है
नारी कुछ ऐसन आगे निकल रही है
नारी कुछ ऐसन आगे निकल रही है
मर्दन के पाँव तले धरती फिसल रही है
मर्दन के पाँव तले धरती फिसल रही है

वो दिन गए के घर के चूल्हे मैं सर खपाया
वो दिन गए के घर के चूल्हे मैं सर खपाया
एक पैर अब ज़मि पर एक चाँद पर जमाया
बदली है जब से औरत दुनिया बदल रही है
बदली है जब से औरत दुनिया बदल रही है
मर्दन के पाँव तले धरती फिसल रही है
मर्दन के पाँव तले धरती फिसल रही है
नारी कुछ ऐसन आगे निकल रही है
नारी कुछ ऐसन आगे निकल रही है
मर्दन के पाँव तले धरती फिसल रही है
मर्दन के पाँव तले धरती फिसल रही है

मर्दन को दे के pention लड़ती है अब election
मर्दन को दे के pention लड़ती है अब election
कहते थे जिसको sister अब हुई minister
मर्दन की मोमबत्ती टप-टप पिघल रही है
मर्दन की मोमबत्ती टप-टप पिघल रही है
मर्दन के पाँव तले धरती फिसल रही है
मर्दन के पाँव तले धरती फिसल रही है
नारी कुछ ऐसन आगे निकल रही है
नारी कुछ ऐसन आगे निकल रही है
मर्दन के पाँव तले धरती फिसल रही है
मर्दन के पाँव तले धरती फिसल रही है

चाबी का छल्ला खोला आँचल से नारियों ने
चाबी का छल्ला खोला आँचल से नारियों ने
बन्दृक भी उठा ली अब फ़ौजी नारियों ने
हर देश औरतन की पल्टन निकल रही है
हर देश औरतन की पल्टन निकल रही है
मर्दन के पाँव तले धरती फिसल रही है
मर्दन के पाँव तले धरती फिसल रही है
नारी कुछ ऐसन आगे निकल रही है
नारी कुछ ऐसन आगे निकल रही है
मर्दन के पाँव तले धरती फिसल रही है
मर्दन के पाँव तले धरती फिसल रही है

Curiosités sur la chanson Nari Kuch Aisan de Kishore Kumar

Qui a composé la chanson “Nari Kuch Aisan” de Kishore Kumar?
La chanson “Nari Kuch Aisan” de Kishore Kumar a été composée par GULZAR, RAJESH ROSHAN.

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