Baar Baar Tum Soch Rahi Ho

Kavi Pradeep

बार बार तुम सोच रही हो
मन में कौन सी बात
मन में कौन सी बात
बार बार तुम सोच रही हो
मन में कौन सी बात
मन में कौन सी बात

चार दिनों की चांदनी है
चार दिनों की चांदनी है फिर अंधियारी रात
फिर अंधियारी रात
चार दिनों की चांदनी है

आज तुम्हारे चहरे की रंगत बोलो क्यों बदली है
मुझे भी खुद मालूम नहीं की मेरी कश्ती किधर चली है
मुझे भी खुद मालूम नहीं की मेरी कश्ती किधर चली है
दूर ओ देखो झील मिल् झील मिल चमक रही है अपनी मंज़िल
उस मंज़िल की और सजनिया चलो चले एक साथ

चार दिनों की चांदनी है फिर अंधियारी रात
फिर अंधियारी रात
चार दिनों की चांदनी है

कितना है आसान जगत में मन के महल बनाना
पर कितना मुश्किल है अपने हाथ से उन्हें गिराना
कितना है आसान जगत में मन के महल बनाना
पहले एक धुंधली सी आशा
फिर मज़बूरी और निराशा

प्रेम के पथ पर हर प्रेमी को मिली यही सौगात
प्रेम के पथ पर हर प्रेमी को मिली यही सौगात

चार दिनों की चांदनी है फिर अंधियारी रात
फिर अंधियारी रात
चार दिनों की चांदनी है

Curiosités sur la chanson Baar Baar Tum Soch Rahi Ho de Lata Mangeshkar

Qui a composé la chanson “Baar Baar Tum Soch Rahi Ho” de Lata Mangeshkar?
La chanson “Baar Baar Tum Soch Rahi Ho” de Lata Mangeshkar a été composée par Kavi Pradeep.

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