Babul Ka Ghar Chhodke Gori
बाबुल का घर छोड़ के गोरी
हो गयी आज परायी रे
डोली देख जियरा डोले
आँख नीर भर लायी रे
प्यारी जग की रीत सखियो
कौन किसी का मीत सखियो
प्यारी जग की रीत सखियो
कौन किसी का मीत सखियो
झूठी सब की प्रीत सखियो
किसने प्रीत निभायी रे
बाबुल का घर छोड़ के गोरी
हो गयी आज परायी रे
डोली देख जियरा डोले
आँख नीर भर लायी रे
जिन गलियों में बचपन बीता
खोली आँख जवानी ने
उन गलियों से किया किनारा
सखियो की पटरानी ने
भैया का मन भर भर आये
छोड़ चली माँ जाई रे
बाबुल का घर छोड़ के गोरी
हो गयी आज परायी रे
डोली देख जियरा डोले
आँख नीर भर लायी रे
खेत क्यार में खो कर गोरी
हमको भूल न जाना
रोज़ नहीं तो कभी कभी
दो अक्सर लिख भिजवाना
धीरे धीरे मधुर सुरो में
यही कहे शेहनाई रे
बाबुल का घर छोड़ के गोरी
हो गयी आज परायी रे
डोली देख जियरा डोले
आँख नीर भर लायी रे
बाबुल का घर छोड़ के गोरी
हो गयी आज परायी रे
डोली देख जियरा डोले
आँख नीर भर लायी रे