Behti Huyi Dhara Mein Bhi

Ravindra Jain

हो हो हो हो हो हो
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म
हो बहती हुई धारा
हो बहती हुई धारा
मैं भी तेरी तरह बेकल चंचल
तेरी तरह बेकल चंचल
ढूँढू कोई किनारा
मैं भी ढूँढू कोई किनारा
हो बहती हुई धारा

तू एक पल जो मेरे पास ठहरे
मैं आप बीती सुनाऊ
मैं मेरा हसता हुआ गांव छोड़ के
परदेस में दिन बिताऊ
तेरा मेरा दोनों का राम सहारा
तेरा मेरा दोनों का राम सहारा
के मैं भी तेरी तरह बेकल चंचल
ढूँढू कोई किनारा
हो बहती हुई धारा

फूल हसी खुशबू हवा में बिखेरे
हसने को करते इशारे
हो कहे झुक झुक के ये पेड़ पौधे
आ पास आजा हमारे
अपनी तरफ खींचें है हर नजारा
अपनी तरफ खींचें है हर नजारा
के मुझे करने लगा पागल पागल
करने लगा पागल पागल मौसम ये मतवारा
हो बहती हुई धारा

तू जैसे सागर की बाहों में जाके
रस्ते के दुःख भूल जाये
हो मैं भी खो जाउंगी उसको पाके
अपना मुझे जो बनाये
जाने कब जागेगा भाग हमारा
जाने कब जागेगा भाग हमारा
के मैं भी तेरी तरह बेकल चंचल
ढूँढू कोई किनारा
हो बहती हुई धारा
हो बहती हुई धारा
मैं भी तेरी तरह बेकल चंचल
तेरी तरह बेकल चंचल
ढूँढू कोई किनारा
मैं भी ढूँढू कोई किनारा
हो हो हो
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म

Curiosités sur la chanson Behti Huyi Dhara Mein Bhi de Lata Mangeshkar

Qui a composé la chanson “Behti Huyi Dhara Mein Bhi” de Lata Mangeshkar?
La chanson “Behti Huyi Dhara Mein Bhi” de Lata Mangeshkar a été composée par Ravindra Jain.

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