Bhatke Huye Musafir

Roshan, J Nakshab

भटके हुए मुसाफिर मंज़िल को ढूंढते है
दिल खो गया हमारा हम दिल को ढूंढते है

वो पास नहीं मजबूर है दिल हम आस लगाए बैठे हैं
उम्मीद भरे अरमानों का तूफ़ान छुपाए बैठे हैं

जाओ के वोही बेदर्द हो तुम वादों का जिन्हे कुछ ख़ास नहीं
हम हैं कि तुम्हारे वादों पर दुनिया को भुलाए बैठे हैं
वो पास नहीं मजबूर है दिल हम आस लगाए बैठे हैं

बर्बाद है दिल उजडा है चमन बेरंग हुयी फूलों की खबन
बेकार उलझते काँटों से दामन को बचाए बैठे हैं
वो पास नहीं मजबूर है दिल हम आस लगाए बैठे हैं

Curiosités sur la chanson Bhatke Huye Musafir de Lata Mangeshkar

Qui a composé la chanson “Bhatke Huye Musafir” de Lata Mangeshkar?
La chanson “Bhatke Huye Musafir” de Lata Mangeshkar a été composée par Roshan, J Nakshab.

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