Dil Jo Na Keh Saka

ROSHAN, MAJROOH SULTANPURI

हम्म हम्म
हम्म हम्म
हम्म हम्म हम्म
हम्म हम्म

दिल जो न कह सका
वही राज़ ए दिल
कहने की रात आयी
दिल जो न कह सका
वही राज़ ए दिल
कहने की रात आयी
दिल जो न कह सका

नग्मा सा कोई
जाग उठा बदन में
झंकार की सी
थर थरी है तन में
झंकार की सी
थर थरी है तन में
हो प्यार की इन्ही धड़कती
धड़कती फिज़ाओ में
रहने की रात आयी
दिल जो न कह सका
वही राज़ ए दिल
कहने की रात आयी

अब तक दबी थी
एक मौजे अरमा
लब तक जो आई
बन गयी है तूफा
लब तक जो आई
बन गयी है तूफा
हो बात प्यार की बहकती
बहकती निगाहों से
कहने की रात आयी
दिल जो न कह सका
वही राज़ ए दिल
कहने की रात आयी

गुजरे न ये सब
खोल दू ये ज़ुल्फ़े
तुमके छुपा लू
मुण्ड के ये पलके
तुमके छुपा लू
मुण्ड के ये पलके
ोू बेक़रार सी लरजती
लरजती सी छवो में
रहने की रात आयी
दिल जो न कह सका
वही राज़ ए दिल
कहने की रात आयी
दिल जो न कह सका

Curiosités sur la chanson Dil Jo Na Keh Saka de Lata Mangeshkar

Qui a composé la chanson “Dil Jo Na Keh Saka” de Lata Mangeshkar?
La chanson “Dil Jo Na Keh Saka” de Lata Mangeshkar a été composée par ROSHAN, MAJROOH SULTANPURI.

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