Hai Isi Mein Pyar Ki Aabroo

MADAN MOHAN, RAJA MEHDI ALIKHAN

है इसी में प्यार की आबरू
वो ज़फ़ा करें मैं वफ़ा करूँ
जो वफ़ा भी काम न आ सके
तो वो ही कहें कि मैं क्या करूँ
है इसी में प्यार की आबरू

मुझे ग़म भी उनका अज़ीज़ है
के उन्हीं की दी हुई चीज़ है
मुझे ग़म भी उनका अज़ीज़ है
के उन्हीं की दी हुई चीज़ है
के उन्हीं की दी हुई चीज़ है
यही ग़म है अब मेरी ज़िंदगी
इसे कैसे दिल से जुदा करूँ
है इसी में प्यार की आबरू

जो न बन सके मैं वो बात हूँ
जो न ख़त्म हो मैं वो रात हूँ
जो न बन सके मैं वो बात हूँ
जो न ख़त्म हो मैं वो रात हूँ
जो न ख़त्म हो मैं वो रात हूँ
ये लिखा है मेरे नसीब में
यूँ ही शम्मा बन के जला करूँ
है इसी में प्यार की आबरू

न किसी के दिल की हूँ आरज़ू
न किसी नज़र की हूँ जुस्तजू
न किसी के दिल की हूँ आरज़ू
न किसी नज़र की हूँ जुस्तजू
न किसी नज़र की हूँ जुस्तजू
मैं वो फूल हूँ जो उदास हो
न बहार आए तो क्या करूँ
है इसी में प्यार की आबरू
वो ज़फ़ा करें मैं वफ़ा करूँ
जो वफ़ा भी काम न आ सके
तो वो ही कहें कि मैं क्या करूँ
है इसी में प्यार की आबरू

Curiosités sur la chanson Hai Isi Mein Pyar Ki Aabroo de Lata Mangeshkar

Qui a composé la chanson “Hai Isi Mein Pyar Ki Aabroo” de Lata Mangeshkar?
La chanson “Hai Isi Mein Pyar Ki Aabroo” de Lata Mangeshkar a été composée par MADAN MOHAN, RAJA MEHDI ALIKHAN.

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