Hazaar Rahen Mud Ke Dekhin

GULZAR, MOHAMMED ZAHUR KHAYYAM

हज़ार राहे मुड़के देखी
कही से कोई सदा ना आई

बड़ी वफ़ा से निभाई तुमने
हमारी थोड़ी सी बेवफ़ाई

जहाँ से तुम मोड़ मूड गये थे
जहाँ से तुम मोड़ मूड गये थे
ये मोड़ अब भी वही पड़े है

हम अपने पैरो मे जाने कितने
हम अपने पैरो मे जाने कितने
भवर लपेटे हुए खड़े है
बड़ी वफ़ा से निभाई तुमने
हमारी थोड़ी सी बेवफ़ाई

कही किसी रोज़ यू भी होता
कही किसी रोज़ यू भी होता
हमारी हालत तुम्हारी होती

जो राते हमने गुज़ारी मरके
जो राते हमने गुज़ारी मरके
वो रात तुमने गुज़ारी होती
बड़ी वफ़ा से निभाई तुमने
हमारी थोड़ी सी बेवफ़ाई

तुम्हे ये ज़िद थी के हम बुलाते
हमे ये उम्मीद वो पुकारे

है नाम होठों पे अब भी लेकिन
आवाज़ मे पड़ गई दरारे

हज़ार रहे मुड़के देखी
कही से कोई सदा ना आई

बड़ी वफ़ा से निभाई तुमने
हमारी थोड़ी सी बेवफ़ाई
हमारी थोड़ी सी बेवफ़ाई

Curiosités sur la chanson Hazaar Rahen Mud Ke Dekhin de Lata Mangeshkar

Qui a composé la chanson “Hazaar Rahen Mud Ke Dekhin” de Lata Mangeshkar?
La chanson “Hazaar Rahen Mud Ke Dekhin” de Lata Mangeshkar a été composée par GULZAR, MOHAMMED ZAHUR KHAYYAM.

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