Mai Ri Main Kaise Kahoon [Classic Revival]
आ माई री मैं कासे कहूँ पीर अपने जिया की
माई री मैं कासे कहूँ पीर अपने जिया की
माई री मैं कासे कहूँ पीर अपने जिया की, माई री
ओस् नयन की उनके मेरी लगी को बुझाये ना
तन मन भीगो दे आके ऐसी घटा कोई छाये ना
मोहे बहा ले जाये ऐसी लहर कोइ आवे ना
ओस् नयन की उनके मेरी लगी को बुझावे ना
पड़ी नदिया के किनारे मै प्यासी, माई री
माई री मैं कासे कहूँ पीर अपने जिया की, माई री
पी की डगर में बैठे मैला हुआ री मेरा आंचरा
मुख है फीका फीका नैनों में सोहे नहीं काजरा
कोई जो देले मैया प्रीत का वासे कहूं माजरा
पी की डगर में बैठे मैला हुआ री मेरा आंचरा
लट में पड़ी कैसी बिरहा की माटी, माई री
आ माई री मैं कासे कहूँ पीर अपने जिया की, माई री
आँखो में चलते फिरते रोज़ मिले पिया बावरे
बाइयाँ के छैयाँ आके मिलते नहीं कभी साँवरे
दुःख ये मिलन का लेकर काह कार कहाँ जाएँ रे
आँखों में चलते फिरते रोज़ मिले पिया बावरे
पाकर भी नहीं उनको मैं पाती, माई री
माई री मैं कासे कहूँ पीर अपने जिया की, माई री