Meri Ankhon Ki Nindiya
मेरी आँखों की निंदिया चुरा ले गया
तुम्हारे सिवा कौन
तुम्हारे सिवा कौन
मेरी आँखों की निंदिया चुरा ले गया
तुम्हारे सिवा कौन
तुम्हारे सिवा कौन
बातों बातों में दिल को उड़ा ले गया
तुम्हारे सिवा कौन
तुम्हारे सिवा कौन
बातों बातों में दिल को उड़ा ले गया
तुम्हारे सिवा कौन
तुम्हारे सिवा कौन
अपनी आँखों से अफ़साने कहती रही
मैं तो यादों के तूफ़ान में बहती रही
मैं तो यादों के तूफ़ान में बहती रही
कोई मौजों में मुझ को बहा ले गया
तुम्हारे सिवा कौन
तुम्हारे सिवा कौन
बातों बातों में दिल को उड़ा ले गया
तुम्हारे सिवा कौन
तुम्हारे सिवा कौन
मेरी आँखों की निंदिया चुरा ले गया
तुम्हारे सिवा कौन
तुम्हारे सिवा कौन
ऐसा बंधन बांधा है कभी न खुले
ख़त्म होते नहीं प्यार के सिलसिले
ख़त्म होते नहीं प्यार के सिलसिले
ज़िन्दगी भर को अपना बना ले गया
तुम्हारे सिवा कौन
तुम्हारे सिवा कौन
मेरी आँखों की निंदिया चुरा ले गया
तुम्हारे सिवा कौन
तुम्हारे सिवा कौन
हाँ बातों बातों में दिल को उड़ा ले गया
तुम्हारे सिवा कौन
तुम्हारे सिवा कौन
वह ख़ुशी मिल गयी मैं बयान क्या करून
लड़खड़ाती है मेरी जुबां क्या करून
लड़खड़ाती है मेरी जुबां क्या करून
दिल के डोले में कोई बिठा ले गया
तुम्हारे सिवा कौन
तुम्हारे सिवा कौन
हो बातों बातों में दिल को उड़ा ले गया
तुम्हारे सिवा कौन
तुम्हारे सिवा कौन
मेरी आँखों की निंदिया चुरा ले गया
तुम्हारे सिवा कौन
तुम्हारे सिवा कौन