Na To Din Hi Din Woh Mere

Deena Nath Madhok

ना तो दिन ही दिन वो रहे मेरे
ना वो रात रात मेरी रही
किसे शौक ज़िंदगी का है
अब मेरी साज बेसुर ही सही
ना तो दिन ही दिन वो रहे मेरे

ना तो चाँद पे वो निखार
ना तो चाँद पे वो निखार
है ना वो चाँदनी मे बहार है
ना वो जोश बाकी हे इश्क़ मे
ना वो हुस्न ही मे तड़प रही
ना तो दिन ही दिन वो रहे मेरे

ना है इंतज़ार मुझे कोई
ना है इंतज़ार मुझे कोई
झूठे ज़िंदगी के फरेब से
ना किसी की याद से वास्ता
ना किसी के दिल मे है कल रही
किसे शौक ज़िंदगी का है अब
मेरे काटदे तू रही सही
ना तो दिन ही दिन वो रहे मेरे

Curiosités sur la chanson Na To Din Hi Din Woh Mere de Lata Mangeshkar

Qui a composé la chanson “Na To Din Hi Din Woh Mere” de Lata Mangeshkar?
La chanson “Na To Din Hi Din Woh Mere” de Lata Mangeshkar a été composée par Deena Nath Madhok.

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