Phir Kahin Door Se

Meraj Faizabadi

फिर कहीं दूर से, एक बार सदा दो मुझको
फिर कहीं दूर से, एक बार सद़ा दो मुझको
मेरी तन्हाई का एहसास दिला दो मुझको
फिर कही दूर से, एक बार सदा दो मुझको

तुम तो सूरज हो तुम्हें, मेरी ज़रूरत क्या हैं
तुम तो सूरज हो तुम्हे, मेरी ज़रूरत क्या हैं
मैं दीया हूँ, किसी चौखट पे जला दो मुझको
फिर कही दूर से, एक बार सदा दो मुझको

एक घुटन सी हैं फिज़ा में, के सुलगता हूँ मै
एक घुटन सी हैं फिज़ा में, के सुलगता हूँ मै
जल उठूँगा कभी, दामन की हवा दो मुझको
फिर कहीं दूर से, एक बार सद़ा दो मुझको

मैं समंदर हूँ, खामोश मेरी मज़बूरी है
मैं समंदर हूँ, खामोश मेरी मज़बूरी है
दे सकों तो किसी, तूफ़ा की दुआ दो मुझको
फिर कहीं दूर से, एक बार सदा दो मुझको
फिर कहीं दूर से, एक बार सद़ा दो मुझको
मेरी तन्हाई का एहसास दिला दो मुझको
फिर कहाँ दूर से, एक बार सद़ा दो मुझको
फिर कहाँ दूर से, एक बार सदा दो मुझको

Curiosités sur la chanson Phir Kahin Door Se de Lata Mangeshkar

Qui a composé la chanson “Phir Kahin Door Se” de Lata Mangeshkar?
La chanson “Phir Kahin Door Se” de Lata Mangeshkar a été composée par Meraj Faizabadi.

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