Rehte The Kabhi Jinke Dil Mein Ham

Majrooh Sultanpuri, Roshan

रहते थे कभी जिनके दिल में
हम जान से भी प्यारों की तरह
बैठे हैं उन्ही के कूचे में
हम आज गुनहगारों की तरह
हम आज गुनहगारों की तरह
रहते थे कभी जिनके दिल में

दावा था जिन्हें हमदर्दी का
खुद आके न पूछा हाल कभी
खुद आके न पूछा हाल कभी
महफ़िल में बुलाया है हम पे
महफ़िल में बुलाया है हम पे
हँसने को सितमगारों की तरह
हँसने को सितमगारों की तरह
रहते थे कभी जिनके दिल में

बरसों के सुलगते तन मन पर
अश्कों के तो छींटे दे ना सके
अश्कों के तो छींटे दे ना सके
तपते हुए दिल के ज़ख्मों पर
तपते हुए दिल के ज़ख्मों पर
बरसे भी तो अंगारों की तरह
बरसे भी तो अंगारों की तरह
रहते थे कभी जिनके दिल में

सौ रुप धरे जीने के लिये
बैठे हैं हज़ारों ज़हर पिये
बैठे हैं हज़ारों ज़हर पिये
ठोकर ना लगाना हम खुद हैं
ठोकर ना लगाना हम खुद हैं
गिरती हुई दीवारों की तरह
गिरती हुई दीवारों की तरह
रहते थे कभी जिनके दिल में
हम जान से भी प्यारों की तरह
बैठे हैं उन्ही के कूचे में
हम आज गुनहगारों की तरह
हम आज गुनहगारों की तरह
रहते थे कभी जिनके दिल में

Curiosités sur la chanson Rehte The Kabhi Jinke Dil Mein Ham de Lata Mangeshkar

Qui a composé la chanson “Rehte The Kabhi Jinke Dil Mein Ham” de Lata Mangeshkar?
La chanson “Rehte The Kabhi Jinke Dil Mein Ham” de Lata Mangeshkar a été composée par Majrooh Sultanpuri, Roshan.

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