Suhani Raat Dhal Chuki Na Jaane Tum Kaha

Naushad, Shakeel Badayuni

याद न जाए बीते दिनों की
जाके न आये जो दिन
दिल क्यों बुलाए उन्हें
दिल क्यों बुलाई

हज़ारो साल नरगिस अपनी बेढुनि पे रोती है (याद न जाए )
बड़ी मुश्किल से होता है चमन मे नींद मे पहदा (बीते दिनों की)

सुहानी रात ढल चुकी
ना जाने तुम कब आओगे
सुहानी रात ढल चुकी
ना जाने तुम कब आओगे
जहा की रुत बदल चुकी
ना जाने तुम कब आओगे
सुहानी रात ढल चुकी
ना जाने तुम कब आओगे

नज़ारे अपनी मस्तिया
दिखा दिखा के सो गए
सितारे ये अपनी रौशनी
लुटा लुटा के सो गए
हर एक शम्मा जल चुकी
ना जाने तुम कब आओगे
सुहानी रात ढल चुकी
ना जाने तुम कब आओगे

तड़प रहे है हम यहां
तड़प रहे है हम यहां
तुम्हारे इंतज़ार में
तुम्हारे इंतज़ार में
खिज़ा का रंग, आ-चला है
मौसम-इ-बहार में
खिज़ा का रंग ,आ-चला है
मौसम-इ-बहार में
मौसम-इ-बहार में
हवा भी रुख बदल चुकी
ना जाने तुम कब आओगे
सुहानी रात ढल चुकी
ना जाने तुम कब आओगे
जहा की रुत बदल चुकी
ना जाने तुम कब आओगे

Curiosités sur la chanson Suhani Raat Dhal Chuki Na Jaane Tum Kaha de Lata Mangeshkar

Qui a composé la chanson “Suhani Raat Dhal Chuki Na Jaane Tum Kaha” de Lata Mangeshkar?
La chanson “Suhani Raat Dhal Chuki Na Jaane Tum Kaha” de Lata Mangeshkar a été composée par Naushad, Shakeel Badayuni.

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