Tum Akele To Kabhi Baag Mein
तुम अकेले तो कभी
बाग में जाया न करो
तुम अकेले तो कभी
बाग में जाया न करो
आज कल फूल भी
दिलवाले हुआ करते है
कोई कदमो से
लिपट बैठा तो फिर
तो भिर क्या होगा
तो फिर क्या होगा
तुम अकेले तो कभी
बाग में जाया न करो
तुम अकेले तो कभी
बाग में जाया न करो
आज कल कलियाँ बड़ी
शोख हुआ करतीं हैं
कोई शोख़ी पे उतर आयी तो फिर
तो फिर क्या होगा
तो फिर क्या होगा
तुम अकेले तो कभी
बाग में जाया न करो
तुम कभी ज़ुल्फ़ को चेहरे
पे गिराया न करो
तुम कभी ज़ुल्फ़ को
चेहरे पे गिराया न करो
बाज़ दिल वाले भी
कमज़ोर हुआ करते हैं
कोई नागिन जो समझ
बैठा तो फिर
तो फिर क्या होगा
तो फिर क्या होगा
महफ़िल ए हुस्न की चिलमन
को उठाया न करो
महफ़िल ए हुस्न की चिलमन
को उठाया न करो
बिजलियाँ काली घटाओं
में छुपी होती हैं
कोई चुपके से
चमक जाए तो फिर
तो फिर क्या होगा
तो फिर क्या होगा
तुम अकेले तो कभी
बाग में जाया न करो
तुम कभी आँख में
काजल भी लगाया न करो
तुम कभी आँख में
काजल भी लगाया न करो
इन्हीं आँखों के जरीचों
में तो हम बसते हैं
साथ काजल के जो
बह निकले तो फिर
तो फिर क्या होगा
तो फिर क्या होगा
हाय होय
हुस्न वालों के मुक़ाबिल
कभी आया न करो
हुस्न वालों के मुक़ाबिल
कभी आया न करो
शरबती आँखों के
दौरों में नशा होता है
बिन पिए ही जो बहक जाओ तो फिर
तो फिर क्या होगा
तो फिर क्या होगा
तुम अकेले तो कभी
बाग में जाया न करो
देखो अंगडाई को भी
बहें उढ़ाया न करो
देखो अंगडाई को भी
बहें उढ़ाया न करो
आज तक चाँद के
दमन को नपहचा कोई
चाँद गभरा के गिर
जाये फिर
तो फिर क्या होगा
तो फिर क्या होगा
तुम ख्यालों की ये
तश्वीरे बनाया न करो
तुम ख्यालों की ये
तश्वीरे बनाया न करो
रेट पर दूरसे
पानी का गुमा होता हे
उमरभर प्यास न बुज
पाई तो क्या होगा तो फिर
तो फिर क्या होगा
तो फिर क्या होगा
तुम अकेले तो कभी
बाग में जाया न करो
तुम तो आइने से भी
आँखे मिलाया करो
तुम तो आइने से भी
आँखे मिलाया करो
आज तक ऐसी हाशि
चीज ना देखी होगी
अपनी सूरत पर मार बैठे
तो फिर तो फिर क्या होगा
तो फिर क्या होगा
तुम तो आइने से भी
आँखे मिलाया करो
तुम तो आइने से भी
आँखे मिलाया करो
दिल न देने के भहोत
नाज किया करते हो
अपनी सूरत पर
बिगड़ गए तो फिर
तो फिर क्या होगा
तो फिर क्या होगा
तुम अकेले तो कभी
बाग में जाया न करो,बाग में जाया न करो