Gussey Me O Soni

Mahesh Chotia

गुस्से में ओ सोनी लगती हो क्या
जाने मेरे दिल को ये क्या हो गया
अरे ओ रानी, ओ दिलबर जानी
ना जाने क्या हो गया
गुस्से में ओ सोनी लगती हो क्या
जाने मेरे दिल को ये क्या हो गया
अरे ओ रानी, ओ दिलबर जानी
ना जाने क्या हो गया

लबो पे काटो सी हसी
मेरी ये जाँ है जो फसी
मची है दिल मे खलबली
मार के हमको कहा चली

ना कोई जान ना पहचान
बिन बुलाए मेहमान
अपने रास्ते चल पदो
चाहे फिर जियो या मरो
दूर हो जा तू मेरी नज़रो से
ना खेलना ऐसे ख़तरो से
दूर हो जा तू मेरी नज़रो से
ना खेलना ख़तरो से

गुस्से में ओ सोनी लगती हो क्या
जाने मेरे दिल को ये क्या हो गया
अरे ओ रानी, ओ दिलबर जानी
ना जाने क्या हो गया

प्यार ना है ख़तरो का है खेल
ये तो बस दो दिलो का है मेल
कर्लो हम से दोस्ती
ज़िंदगी में भर दो मस्ती

ना चाहू मैं कोई मस्ती
ना करनी है कोई दोस्ती
देखे है तुम जैसे कितने
कितने लगेगा मजनू तू पीटने
दूर हो जा तू मेरी नज़रो से
ना खेलना ख़तरो से
दूर हो जा तू मेरी नज़रो से
ना खेलना ख़तरो से

गुस्से में ओ सोनी लगती हो क्या
जाने मेरे दिल को ये क्या हो गया
अरे ओ रानी, ओ दिलबर जानी
ना जाने क्या हो गया

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