Aa Zara Mere Hamnasheen

ANU MALIK, JAIPURI HASRAT

आ ज़रा मेरे हमनशीं, थाम ले, मुझे थाम ले
आ ज़रा मेरे हमनशीं, थाम ले, मुझे थाम ले
ज़िंदगी से भाग कर आया हूँ मैं, मुझे थाम ले
आ ज़रा मेरे हमनशीं थाम ले, मुझे थाम ले
आ ज़रा

अपनी हस्ती से खुद मैं परेशान हूँ
जिसकी मंज़िल नहीं ऐसा इंसान हूँ

अपनी हस्ती से खुद मैं परेशान हूँ
जिसकी मंज़िल नहीं ऐसा इंसान हूँ
मैं कहाँ था कहाँ से कहाँ आ गया
क्या से क्या हो गया मैं भी हैरान हूँ
आ ज़रा मेरे हमनशीं, थाम ले, मुझे थाम ले
आ ज़रा

बुझ गया भी तो क्या अपने दिल का दीया
अब ना रोयेंगे हम रोशनी के लिये

बुझ गया भी तो क्या अपने दिल का दीया
अब ना रोयेंगे हम रोशनी के लिये
दिल का शीशा जो टूटा तो ग़म क्यूँ करें
दर्द काफ़ी है बस ज़िंदगी के लिये
आ ज़रा मेरे हमनशीं, थाम ले, मुझे थाम ले
आ ज़रा

रात आती रही, रात जाती रही
मेरे ग़म का न लेकिन सवेरा हुआ

रात आती रही, रात जाती रही
मेरे ग़म का न लेकिन सवेरा हुआ
अपने-अपने नसीबों की बातें हैं ये
जो मिला हमको उसका बहुत शुक्रिया
आ ज़रा मेरे हमनशीं, थाम ले, मुझे थाम ले
ज़िंदगी से भाग कर आया हूँ मैं, मुझे थाम ले
आ ज़रा

Curiosités sur la chanson Aa Zara Mere Hamnasheen de Mohammed Rafi

Qui a composé la chanson “Aa Zara Mere Hamnasheen” de Mohammed Rafi?
La chanson “Aa Zara Mere Hamnasheen” de Mohammed Rafi a été composée par ANU MALIK, JAIPURI HASRAT.

Chansons les plus populaires [artist_preposition] Mohammed Rafi

Autres artistes de Religious