Daulat Ke Andhere Mein

Chitragupta, Asad Bhopali

दौलत के अंधेरे में
तेरा खो गया ईमान
तुझको ना रही अपने
पराए की भी पहचान
मगरूर ना हो मगरूर ना हो
अपने मुक़दार ओ नादान
अल्लाह की नॅज़ारो में
बराबर है सब इंसान
अल्लाह की नॅज़ारो में
बराबर है सब इंसान

दुनिया का अजब रंग
नज़र आने लगा है
एक भाई है जो भाई से
टकराने लगा है
एक बेटा है जो मा को भी
ठुकराने लगा है
अफ़सोश के इंसान बना
जाता है शैतान
अल्लाह की नॅज़ारो में
बराबर है सब इंसान
अल्लाह की नॅज़ारो में
बराबर है सब इंसान

ज़ालिम को हर एक ज़ुल्म से
बाज़ आना पड़ेगा
लूटी हुई हर चीज़ को
लौटना पड़ेगा
इंसाफ़ की आवज़ा पे झुक
जाना पड़ेगा
कुद्रट का ये क़ानून
बदलना नही आसान
अल्लाह की नॅज़ारो में
बराबर है सब इंसान
अल्लाह की नॅज़ारो में
बराबर है सब इंसान

यह साज़ यह महफ़िल
यह तराने ना रहेंगे
यह हुसनो मोहब्बत के
फसाने ना रहेंगे
जो आज है कल तक
वो ज़माने ना रहेंगे
मिट जाएँगे एक पल में
गुनाहो के यह समा
अल्लाह की नॅज़ारो में
बराबर है सब इंसान
अल्लाह की नॅज़ारो में
बराबर है सब इंसान

Curiosités sur la chanson Daulat Ke Andhere Mein de Mohammed Rafi

Qui a composé la chanson “Daulat Ke Andhere Mein” de Mohammed Rafi?
La chanson “Daulat Ke Andhere Mein” de Mohammed Rafi a été composée par Chitragupta, Asad Bhopali.

Chansons les plus populaires [artist_preposition] Mohammed Rafi

Autres artistes de Religious