Ek Raja Ki Sunlo Kahani
एक राजा की सुन लो कहानी
एक राजा की सुन लो कहानी
कही हाथी ना घोड़े ना सेना कोई
ना कही थी कोई राजधानी
एक राजा की सुन लो कहानी
एक राजा की सुन लो कहानी
टीन बेटे थे आँखो के तारे
बड़े प्यारे प्यारे दिलो के सहारे
एक रानी थी खूबसूरत
जैसे देवी की होती हे मूर्त
टीन बेटे थे आँखो के तारे
बड़े प्यारे प्यारे दिलो के सहारे
वो थे राजा के अनमोल मोटी
निगाहो के ज्योति थे मा के दुलारे
पॅल्को की च्चव में
घुजारा था बचपन
मस्ती में गुज़री जवानी
एक राजा की सुन लो कहानी
एक राजा की सुन लो कहानी
एक ऐसा अगर दिन भी आया
जिसने राजा को निर्धन बनाया
हो गये खाली सारे ख़ज़ाने
हाए कैसा यह अंधेर च्चाया
उजाड़ गया दो रोज़ में
बसा बसाया राज
कल तक जहा बाहर थी
धूल उड़े है आज
वो जो बेटे थे आँखो के तारे
राजा रानी के दिल सहारे
काम ऐसे में
वो भी ना आए
च्छुपते फिरते थे आ आँखे च्छुपाए
आराम के साथी क्या क्या थे
जब वक़्त पढ़ा तो कोई नही
धन धौलत के
सब रिश्ते है
धन रुत गया तो कोई नही
कौन गिरते को देता सहारा
वो राजा बेचारा
थका और हारा
सोचता था कहा है वो मोटी
वो आँखो की ज्योति
बने जो सहारा
राजा तो चुप छाप पिता था आंशु
चुप चुप के रोटी थी रानी
एक राजा की सुन लो कहानी
एक राजा की सुन लो कहानी
हो गया अपना खून पराया
हो गया अपना खून पराया
काम मगर एक चाकर आया
एक भोला इंसान वाहा था
बचपन से मेहमान वाहा था
उसने टुकड़े खाए
सदा उसी के पाँव ढाबया
उन बेदर्डो की महफ़िल में
एक वही हमदर्द बचा था
लेकिन मलिक को क्या देता
बेचारे के पास ही क्या था
बेचारे के पास ही क्या था
अपने मलिक मे कदमो
में रो रो के
खुश होता चरण उसके
धो धो के
अपना टन मान नयोच्छवर
वो करता रहा
एक इशारे पे मलिक के मरता रहा
है कहानी बात मगर पल ही की है
ना समझना इसे तुम पुरानी
एक राजा की सुन लो कहानी
एक राजा की सुन लो कहानी
कही हाथी ना घोड़े ना सेना कोई
ना कही थी कोई राजधानी
एक राजा की सुन लो कहानी
एक राजा की सुन लो कहानी