Gham-E-Qadar Badhe
Sahir Ludhianvi
ग़म इस क़दर बढ़े
के मैं घबरा के पी गया
इस दिल की बेबसी पे
तरस खा के पी गया
ठुकरा रहा था मुझको (अच्छा तो ये शायर भी है)
बड़ी देर से जहां (शायर तुम देखती नहीं उसकी कुछ पांच सौ नगमे उसके सर के पीछे पड़ी है)
ठुकरा रहा था मुझको
बड़ी देर से जहां
मैं आज सब जहान को
ठुकरा के पी गया
मैं आज सब जहान को
ठुकरा के पी गया