Hai Bas Ke Har Ek Unke Ishare [short]

GHULAM MOHAMMAD, MIRZA GHALIB

है बस की हर एक उन के इशारे में निशान और
करते हैं मुहब्बत तो गुज़रता है गुमान और

या रब न वो समझे हैं न समझेंगे मेरी बात
या रब न वो समझे हैं न समझेंगे मेरी बात
दे और दिल उनको जो न दे मुझको ज़ुबाँ और
दे और दिल उनको जो न दे मुझको ज़ुबाँ और
तुम शहर में हो तो हमें क्या ग़म जब उठेंगे
तुम शहर में हो तो हमें क्या ग़म जब उठेंगे
ले आएंगे बाज़ार से जाकर दिल-ओ-जान और
ले आएंगे बाज़ार से जाकर दिल-ओ-जान और
है और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे
है और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे
कहते हैं की ग़ालीब का है अंदाज़-ए-बयाँ और
कहते हैं की ग़ालीब का है अंदाज़-ए-बयाँ और
है और भी दुनिया में सुखनवर बहुत अच्छे
कहते हैं की ग़ालीब का है अंदाज़-ए-बयाँ और
कहते हैं की ग़ालीब का है अंदाज़-ए-बयाँ और

Curiosités sur la chanson Hai Bas Ke Har Ek Unke Ishare [short] de Mohammed Rafi

Qui a composé la chanson “Hai Bas Ke Har Ek Unke Ishare [short]” de Mohammed Rafi?
La chanson “Hai Bas Ke Har Ek Unke Ishare [short]” de Mohammed Rafi a été composée par GHULAM MOHAMMAD, MIRZA GHALIB.

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