Janewalo Zara Mudke Dekho

Laxmikant Pyarelal, Majrooh Sultanpuri

ओ ओ ओ ओ
ओ ओ ओ ओ
जाने वालों ज़रा, मुड़ के देखो मुझे
एक इन्सान हूँ मैं तुम्हारी तरह
जाने वालों ज़रा, मुड़ के देखो मुझे
एक इन्सान हूँ मैं तुम्हारी तरह
जिसने सबको रचा, अपने ही रूप से
उसकी पहचान हूँ मैं तुम्हारी तरह
जाने वालों ज़रा

इस अनोखे जगत की मैं तक़दीर हूँ
इस अनोखे जगत की मैं तक़दीर हूँ
मैं विधाता के हाथों की तसवीर हूँ
एक तसवीर हूँ
इस जहाँ के लिये, धरती माँ के लिये
शिव का वरदान हूँ, मैं तुम्हारी तरह
जाने वालों ज़रा

मन के अंदर छिपाए मिलन की लगन
मन के अंदर छिपाए मिलन की लगन
अपने सूरज से हूँ एक बिछड़ी किरण
एक बिछड़ी किरण
फिर रहा हूँ भटकता, मैं यहाँ से वहाँ
और परेशान हूँ, मैं तुम्हारी तरह
जाने वालों ज़रा

मेरे पास आओ छोड़ो यह सारा भरम
मेरे पास आओ छोड़ो यह सारा भरम
जो मेरा दुख वही है तुम्हारा भी ग़म
है तुम्हारा भी ग़म
देखता हूँ तुम्हे, जानता हूँ तुम्हे
लाख अन्जान हूँ, मैं तुम्हारी तरह
जाने वालों ज़रा, मुड़ के देखो मुझे
एक इन्सान हूँ मैं तुम्हारी तरह
जिसने सबको रचा, अपने ही रूप से
उसकी पहचान हूँ मैं तुम्हारी तरह
जाने वालों ज़रा
हम्म हम्म

Curiosités sur la chanson Janewalo Zara Mudke Dekho de Mohammed Rafi

Qui a composé la chanson “Janewalo Zara Mudke Dekho” de Mohammed Rafi?
La chanson “Janewalo Zara Mudke Dekho” de Mohammed Rafi a été composée par Laxmikant Pyarelal, Majrooh Sultanpuri.

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