Kabira Roye Ya Muskuraye

ANANDJI KALYANJI, Rajinder Krishnan

कबीर खड़ा बाजार में
सब की मांगे खैर
न तो किसी से दोस्ती
न तो किसी से बैर

अरे हो
एक जगह एक फूल खिले
और खिलते ही मुरझाये
एक जगह एक फूल खिले
और खिलते ही मुरझाये
इस दो रंगी दुनिया का
ये राज़ समझ न आये
कबीरा रोये या मुस्काये
कबीरा रोये या मुस्काये
अरे हो

एक धन वाले बाजीगर ने
ताज महल बनवाया
जिसको निर्धन कारीगर ने
अपना खून पिलाया
मेहनत के बदले में उसने
हाथ अपने कटवाये
कबीरा रोये या मुस्काये
कबीरा रोये या मुस्काये
अरे हो

चीर के इस धरती का सीना
बीज किसी ने बोया
न दिन को आराम किया न
रात को पलभर सोया
खेत पके तो उसके दाने
और कोई खा जाये
कबीरा रोये या मुस्काये
कबीरा रोये या मुस्काये
अरे हो

बड़ी पुराणी हो गयी दुनिया
आओ इसे जला दे
जल जाये तो राख से इस की
दुनिआ नयी बसा दे
सब का साथी इस दुनिया का
हर बंदा कहलाये
कबीरा देख देख मुस्काये
कबीरा देख देख मुस्काये
कबीरा देख देख मुस्काये

Curiosités sur la chanson Kabira Roye Ya Muskuraye de Mohammed Rafi

Qui a composé la chanson “Kabira Roye Ya Muskuraye” de Mohammed Rafi?
La chanson “Kabira Roye Ya Muskuraye” de Mohammed Rafi a été composée par ANANDJI KALYANJI, Rajinder Krishnan.

Chansons les plus populaires [artist_preposition] Mohammed Rafi

Autres artistes de Religious