Kal Yahen Maan Tha
Vishweshwar Sharma
कल यहीं मान था
आज अपमान हे
आदमी की यहां किसको पहचान हे
सब बदल जायेगा ना तू धीरज गवा
जिसने विष पी लिया वो ही शंकर बना
आगे नफरत के हे
आगे नफरत के हे सिलसिला प्यार का
एक दिन जीत का एक दिन हार का
एक दिन जीत का एक दिन हार का
जिंदगी नाम हे वक्त की मार का