Main Bahot Door Chala Aaya Hoon
Ibrahim Faiz
मैं बहुत दूर
बहुत दूर
चला आया हूँ हूँ हूँ
तेरी महफ़िल तेरे जलवे
मेरी तक़दीर कहा
मेरी किस्मत में तेरी
ज़ुल्फ़ की ज़ंज़ीर कहा
मेरे हमदम मेरे बिखरे हुए
ख्वाबो की कसम
मेरी किस्मत में तेरे हुस्न की
जागीर कहा जागीर कहा
मैं बहुत दूर बहुत दूर
चला आया हूँ हूँ हूँ
दिल के सहरा में मुरादों की
हसीं रात नहीं
मेरे माघी का तसव्वुर भी
मेरे साथ नहीं
मैं जला हूँ
तेरी बज़्म सजाने के लिए
ऐसा मोहोल नहीं ऐसे तो
हालात नहीं हालात नहीं