Milne Ki Hasrat Me Betabi
Shakeel Badayuni
मिलने की हसरत में बेताबी के साथ
रह गए फैला के हाये दोनों हाथ
फूल दो दिन हस के जी बहला गए
और ये गम से बिन खिले मुरझा गए
आये ठहरे और गुजरे काफिले
फिर न ऐसे चाहने वाले मिले
मौत से क्यों इश्क शर्मिन्दा रहे
ऐसे लैला मर के भी ज़िंदा रहें
ऐसे लैला मर के भी जिंदा रहे