Mujhe Tumse Muhabbat Hai
मुझे तुमसे मोहब्बत है
मगर मैं कह नहीं सकता
मुझे तुमसे मोहब्बत है
मगर मैं कह नहीं सकता
मगर मैं क्या करूँ बोले
बिना भी रह नहीं सकता
मुझे तुमसे मोहब्बत है
मगर मैं कह नहीं सकता
मेरे ख्वाबों की शहजादी
जहाँ तुम मुस्कुराती हो
बहारे क्या फिजाओं में
हजारो गुल खिलाती हो
तुम्हे जिसने भी देखा है
जुदाई सह नहीं सकता
मुझे तुमसे मोहब्बत है
मगर मैं कह नहीं सकता
ज़माना लाख बादल बन के
छा जाये निगाहो पर
मोहब्बत का उजाला फैलाता
जायेगा राहों पर
मोहब्बत चाँद ऐसा है
कभी जो गहे नहीं सकता
मुझे तुमसे मोहब्बत है
मगर मैं कह नहीं सकता