Pachham Se Nikal Kar Suraj

Gopal Singh Nepali

हो ओ ओ ओ हो ओ ओ ओ
हो ओ ओ ओ हो ओ ओ ओ

पश्चिम से निकल कर सूरज भी
पश्चिम से निकल कर सूरज भी
पूरब मे ढल जाए
नामुमकिन है राणा प्रताप
प्रतिज्ञा से टल जाए
पश्चिम से निकल कर सूरज भी

जो आज़ादी के लिए लड़ा है वो रणधीर कहा
जो जीवन भर ज़िंदा शहिद है वो रणबीर कहा
जो खून बहाए उसे भला क्या तू छल पाए
नामुमकिन है राणा प्रताप
प्रतिज्ञा से टल जाए
पश्चिम से निकल कर सूरज भी

आज़ादी का झंडा जिसने जीवन भर लहराया
और मेवाड़ के संकट को जिसने हंसते मुख अपनाया
जो सर ना झुकना जाने उसको कौन कुचल पाए
नामुमकिन है राणा प्रताप
प्रतिज्ञा से टल जाए
पश्चिम से निकल कर सूरज भी

जनता के मन मे बसा हुआ जॅंगल मे वास करे
जनता के मन मे बसा हुआ जॅंगल मे वास करे
जागो ओये जागो जागो आए शेर मेवाडी
धरती तेरी आश करे धरती तेरी आश करे
मौसम बदले सासन बदले संसार बदल जाए
नामुमकिन है राणा प्रताप
प्रतिज्ञा से टल जाए
पश्चिम से निकल कर सूरज भी
पूरब मे ढल जाए
नामुमकिन है राणा प्रताप
प्रतिज्ञा से टल जाए
पश्चिम से निकल कर सूरज भी

Curiosités sur la chanson Pachham Se Nikal Kar Suraj de Mohammed Rafi

Qui a composé la chanson “Pachham Se Nikal Kar Suraj” de Mohammed Rafi?
La chanson “Pachham Se Nikal Kar Suraj” de Mohammed Rafi a été composée par Gopal Singh Nepali.

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