Tum Bin Jaoon Kahan [1]

MAJROOH SULTANPURI, RAHUL DEV BURMAN

तुम बिन जाऊँ कहाँ
तुम बिन जाऊँ कहाँ
कि दुनिया में आ के
कुछ न फिर चाहा सनम
तुमको चाह के
तुम बिन जाऊँ कहाँ
कि दुनिया में आ के
कुछ न फिर चाहा सनम
तुमको चाह के
तुम बिन

देखो मुझे सर से कदम तक सिर्फ प्यार हूँ मैं
गले से लगा लो के तुम्हारा बेकरार हूँ मैं
तुम क्या जानो के भटकता फिरा किस किस गली
तुमको चाह के
तुम बिन जाऊँ कहाँ
कि दुनिया में आ के
कुछ न फिर चाहा सनम
तुमको चाह के
तुम बिन

अब है सनम हर मौसम प्यार के काबिल
पड़ी जहाँ छाओं हमारी सज गयी महफ़िल
महफ़िल क्या तनहाई में भी लगता है जी
तुमको चाह के
तुम बिन जाऊँ कहाँ
तुम बिन जाऊँ कहाँ
कि दुनिया में आ के
कुछ न फिर चाहा सनम
तुमको चाह के
तुम बिन

Curiosités sur la chanson Tum Bin Jaoon Kahan [1] de Mohammed Rafi

Qui a composé la chanson “Tum Bin Jaoon Kahan [1]” de Mohammed Rafi?
La chanson “Tum Bin Jaoon Kahan [1]” de Mohammed Rafi a été composée par MAJROOH SULTANPURI, RAHUL DEV BURMAN.

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