Agar Tu Aabroo Apni Bacha Leti

G L Rawal

वफ़ा के नाम पर मिटना नहीं
आया अगर तुझको तो फिर जिस्म-ए-वफ़ा
बाजार में क्यूँ बेचती है तू
अगर तू आबरू
अपनी बचा लेती
तो अच्छा था
अगर तू आबरू
अपनी बचा लेती
तो अच्छा था
जो अपनी आग में
खुद को जला लेती तो अच्छा था
अगर तू आबरू अपनी

लगा कर आग होठो से
किसी का घर जला देना
लगा कर आग होठो से
किसी का घर जला देना
किसी की जान जाना और
तेरा मुस्करा देना
की तेरा मुस्करा देना
किसी पर जान देकर
मुस्करा लेती तो अच्छा था
अगर तू आबरू अपनी
बचा लेती तो अच्छा था
जो अपनी आग में खुद को
जला लेती तो अच्छा था
अगर तू आबरू अपनी

सती जो आन पर होती है तू उनकी निशानी है
सती जो आन पर होती है तू उनकी निशानी है
न हरगिज भूल बेगैरत
की तू हिन्दोस्तानी है
की तू हिन्दोस्तानी है
अगर तू शर्म को जेवर
बना लेती तो अच्छा था
अगर तू आबरू अपनी
बचा लेती तो अच्छा था
जो अपनी आग में खुद को
जला लेती तो अच्छा था
अगर तू आबरू अपनी

Curiosités sur la chanson Agar Tu Aabroo Apni Bacha Leti de Mukesh

Qui a composé la chanson “Agar Tu Aabroo Apni Bacha Leti” de Mukesh?
La chanson “Agar Tu Aabroo Apni Bacha Leti” de Mukesh a été composée par G L Rawal.

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