Jane Kahan Gaye Woh Din [Revival]

Hasrat Jaipuri, Shankar-Jaikishan

जाने कहाँ गए वो दिन
कहते थे तेरी राह में
नज़रों को हम बिछाएंगे
जाने कहाँ गए वो दिन
कहते थे तेरी राह में
नज़रों को हम बिछाएंगे
चाहे कहीं भी तुम रहो
चाहेंगे तुमको उम्र भर
तुमको ना भूल पाएंगे

मेरे कदम जहाँ पड़े
सजदे किये थे यार ने
मेरे कदम जहाँ पड़े
सजदे किये थे यार ने
मुझको रुला रुला दिया
जाती हुई बहार ने
जाने कहाँ गए वो दिन
कहते थे तेरी राह में
नज़रों को हम बिछाएंगे
चाहे कहीं भी तुम रहो,
चाहेंगे तुमको उम्र भर
तुमको ना भूल पाएंगे

अपनी नज़र में आज कल
दिन भी अंधेरी रात है
अपनी नज़र में आज कल
दिन भी अंधेरी रात है
साया ही अपने साथ था
साया ही अपने साथ है
जाने कहाँ गए वो दिन
कहते थे तेरी राह में
नज़रों को हम बिछाएंगे
चाहे कहीं भी तुम रहो
चाहेंगे तुमको उम्र भर
तुमको ना भूल पाएंगे

Curiosités sur la chanson Jane Kahan Gaye Woh Din [Revival] de Mukesh

Qui a composé la chanson “Jane Kahan Gaye Woh Din [Revival]” de Mukesh?
La chanson “Jane Kahan Gaye Woh Din [Revival]” de Mukesh a été composée par Hasrat Jaipuri, Shankar-Jaikishan.

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