Rahi Hai Daad

Khaiyyaam, Jan Nishar Akhtar

रही है दाद तलब उनकी शोखियां हमसे
रही है दाद तलब उनकी शोखियां हमसे
अदा शनास बहुत हैं मगर कहाँ हमसे
अदा शनास बहुत हैं मगर कहाँ हमसे

सुना दिये थे कभी कुछ गलत-सलत किस्से
सुना दिये थे कभी कुछ गलत-सलत किस्से
वो आज तक हैं उसी तरह बदगुमां हमसे
वो आज तक हैं उसी तरह बदगुमां हमसे

ये कुंज क्यूँ ना ज़िआरत गहे मुहब्बत हो
ये कुंज क्यूँ ना ज़िआरत गहे मुहब्बत हो
मिले थे वो इन्ही पेड़ों के दर्मियां हमसे
मिले थे वो इन्ही पेड़ों के दर्मियां हमसे

हम ही को ज़ोक़-ए-नज़ारा नहीं रहा वरना
हम ही को ज़ोक़-ए-नज़ारा नहीं रहा वरना
इशारे आज भी करती हैं खिड़कियां हमसे
इशारे आज भी करती हैं खिड़कियां हमसे

हर एक नशे में तेरे बदन का खयाल
हर एक नशे में तेरे बदन का खयाल
ना जाने टूट गई कै सुराहियां हमसे
ना जाने टूट गई कै सुराहियां हमसे
रही है दाद तलब उनकी शोखियां हमसे
अदा शनास बहुत हैं मगर कहाँ हमसे

Curiosités sur la chanson Rahi Hai Daad de Mukesh

Qui a composé la chanson “Rahi Hai Daad” de Mukesh?
La chanson “Rahi Hai Daad” de Mukesh a été composée par Khaiyyaam, Jan Nishar Akhtar.

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