Rut Albeli Mast Sama

Dattaram, Gulzar Deenvi

रुत अलबेली मस्त समाँ साथ हसी हर बात जवाँ
हवा का आँचल बड़ा है चंचल
धीरे-धीरे गाए मन तेरी कसम
अरे रुत अलबेली मस्त समाँ साथ हसी हर बात जवाँ
हवा का आँचल बड़ा है चंचल
धीरे-धीरे गाए मन तेरी कसम

इन मचलते पानियों में सुन गुनगुनाते साहिलों की धुन
रुत हसीन है हम जवान हाय तौबा

हा हा हा हा

नाज़नीं जो कोई हस पड़ी मोतियों की खुल गई लड़ी
लाजवाब है क्या शबाब हाय तौबा
रेशमी नज़र पड़ गई जिधर खिल गई दुनिया
अरे रुत अलबेली मस्त समाँ साथ हसी हर बात जवाँ
हवा का आँचल बड़ा है चंचल
धीरे-धीरे गाए मन तेरी कसम

ये महल न देखे कहीं आसमाँ को चूमे ज़मीं
क्या ख़्याल है बेमिसाल हाय तौबा
आरज़ू लिए निगाह में मंज़िलें बुलाए राह में
इंतज़ार में बेक़रार हाय तौबा
ख़्वाब तो नहीं ये जमीं कहीं खूब है दुनिया
अरे रुत अलबेली मस्त समाँ साथ हसी हर बात जवाँ
हवा का आँचल बड़ा है चंचल
धीरे-धीरे गाए मन तेरी कसम
अरे रुत अलबेली मस्त समाँ साथ हसी हर बात जवाँ
हवा का आँचल बड़ा है चंचल
धीरे-धीरे गाए मन तेरी कसम

Curiosités sur la chanson Rut Albeli Mast Sama de Mukesh

Qui a composé la chanson “Rut Albeli Mast Sama” de Mukesh?
La chanson “Rut Albeli Mast Sama” de Mukesh a été composée par Dattaram, Gulzar Deenvi.

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