Tujhe Bhool Ke
तुझे भूल के माटी की पुतली पर
कोई मॅन की खिड़की खोल रहा
जिसमे तेरा नाम तुले जाग उसमे
सोना-चाँदी तोल रहा
अपना क्या है हम तो अनजाने
ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने
अपना क्या है हम तो अनजाने
ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने
जीवन पाठ पे निकले दो पल को हम
अपने जी को बहलाने
ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने
यारा तेरी दुनिया कैसी तू जाने
तूने जब दुनिया ये बनाई
धरती की चादर फैलाई
चंदा-सूरज की जोत जलाई
तूने जब दुनिया ये बनाई
धरती की चादर फैलाई
चंदा-सूरज की जोत जलाई
ओ यारा ओ यारा
पर जिसके लए जाग तूने रचा
वो करके इसे वीरान रहा
धरती की चादर च्चीं चुका
अब चाँद और सूरज माँग रहा
ये तेरे बंडो के अफ़साने
ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने
जीवन पाठ पे निकले दो पल को हम
अपने जी को बहलाने
अपना क्या है हम तो अनजाने
ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने
उल्टी ग़ागा बहे
जोगी चुप कैसे रहे
अब देवता कुच्छ भी नही
मानवता कुच्छ भी नही
यार से यारी गई वो दिलदारी गई
ऐसी छ्चाया तले हम दीवाने भले
कैसा प्यार कहाँ की दोस्ती कैसा रिश्ता-नाता
तेरे होते इंसान तेरा शैतान हुआ ओ दाता
पर ये क्या कह रहे हम दीवाने
ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने
जीवन पाठ पे निकले दो पल को हम
अपने जी को बहलाने
अपना क्या है हम तो अनजाने
ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने
जब दिल मे पराया दर्द उठे
दूजे के तू काम आए यारा
तब गयाँ मिला जीवन तुझको
चाँदी-सोने से भी प्यारा
वरना धन तो चीज़ ही क्या है
कहे मियाँ नज़ीरा का इकतारा
सब तात पड़ा रह जाएगा
जब लाद चलेगा बाजारा
काम आएँगे यही प्यार के नज़राने
ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने
जीवन पठ पे निकले दो पल को हम
अपने जी को बहलाने
अपना क्या है हम तो अनजाने
ओ तेरी दुनिया कैसी तू जाने