Kati Hai Gham Ki Raat

Rajendra Mehta

कटी है गम की रात
बड़े एहतराम से
कटी है गम की रात
बड़े एहतराम से
अक्सर बूजा लिया है
चरगो को शाम से
रोशन हैं अपनी बज्मी
और इस्स एहतमाम से
कुछ दिल भी जल रहे हैं
चरगो के नाम से
कटी है गम की रात
बड़े एहतराम से

काटी तमाम उमराह
फरेबी बहार में
काटी तमाम उमराह
फरेबी बहार में
कांटे समेट ते रहे
फूलो के नाम से
कांटे समेट ते रहे
फूलो के नाम से

सुबाहे बहार हम को
गुलाबी राही मगरी
सुबाहे बहार हम को
गुलाबी राही मगरी
हम खेलते हैं
किसी जुल्फों की शाम से
कटी है गम की रात
बड़े एहतराम से

ये और बात है कि
अली हम ना सुन सके
ये और बात है कि
अली हम ना सुन सके
आवाज उसे दी है
हमीं हर मक़ाम से
आवाज उसे दी है
हमीं हर मक़ाम से
आवाज उसे दी है
हमीं हर मक़ाम से
आवाज उसे दी है
हमीं हर मक़ाम से

Curiosités sur la chanson Kati Hai Gham Ki Raat de Nina Mehta

Quand la chanson “Kati Hai Gham Ki Raat” a-t-elle été lancée par Nina Mehta?
La chanson Kati Hai Gham Ki Raat a été lancée en 2008, sur l’album “Rahi Pyar Ke”.
Qui a composé la chanson “Kati Hai Gham Ki Raat” de Nina Mehta?
La chanson “Kati Hai Gham Ki Raat” de Nina Mehta a été composée par Rajendra Mehta.

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