Saagar Paar
चल उठ जा, चल उठ जा
कर ग़म के सागर पार
चल उठ जा, चल उठ जा
कर ग़म के सागर पार
तू मार दे ठोकर फ़िक्रों को
और शेर की तरह दहाड़
चल उठ जा, चल उठ जा
जो जान जाते है अंतर को
वोही कलन्दर बनते है
जो जान जाते है अंतर को
वोही कलन्दर बनते है
जो जीत जाते ज़माने को
वही सिकंदर बनते है
चल उठ जा, चल उठ जा
कर ग़म के सागर पार
तू मार दे ठोकर फ़िक्रों को
और शेर की तरह दहाड़
चल उठ जा, चल उठ जा
कर ग़म के सागर पार
उड़ा दे उड़ा दे धुआं
मुक्कदर के बादल से
हटा दे हटा दे मिटटी
किस्मत के आँचल से
उड़ा दे उड़ा दे धुआं
मुक्कदर के बादल से
हटा दे हटा दे मिटटी
किस्मत के आँचल से
सीने विच भर के फौलाद जेहड़े रखदे
रब्ब ओह ना नाल जेहदे हार्दे ना थक्दे
जब कतरा कतरा एक हुये
तब ही समन्दर बनते है
चल उठ जा, चल उठ जा
कर ग़म के सागर पार
तू मार दे ठोकर फ़िक्रों को
और शेर की तरह दहाड़
चल उठ जा, चल उठ जा
कर ग़म के सागर पार
नी सा नी सा सा रे गा रे सा
नी सा नी सा सा रे गा रे
नी सा नी सा सा रे गा रे सा
नी सा नी सा सा रे गा रे सा
आ आ आ आ आ
ख्वाबन दे परिन्देयाँ नू अम्बर उड़ान दे
हस हस सेह जा दुख औंदे जेह्दे औंदे
ख्वाबन दे परिन्देयाँ नू अम्बर उड़ान दे
हस हस सेह जा दुख औंदे जेह्दे औंदे
पता नहियों लगदा ज़माने वाले दुःख दा
याद रखी होर ओह नू कोयी नहियों पुछदा
जो धूल के अंदर धुल हुए
वोही धुरंदर बनते है
चल उठ जा, चल उठ जा
कर ग़म के सागर पार
तू मार दे ठोकर फ़िक्रों को
और शेर की तरह दहाड़
चल उठ जा, चल उठ जा
कर ग़म के सागर पार